पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

 

Foreword by Dr. Fatah Singh

 

प्रस्तावना

पुराण विषय अनुक्रमणिका नामक ग्रन्थ शृंखला की यह द्वितीय कडी हैश्री विपिन कुमार और उनकी सुयोग्य अनुजा श्रीमती राधा गुप्ता एम..,पीएच.डी., डी.लिट्. का यह अत्यन्त सराहनीय सम्मिलित प्रयास हैपुराणों में प्रयुक्त वैदिक पारिभाषिक शब्दों के सन्दर्भ प्रस्तुत करते हुए लेखक द्व ने अपने व्यापक अध्ययन के आधार पर इसमें पुराणगत वैदिक सन्दर्भ खोजने एवं स्थान स्थान पर उनकी व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास भी किया है । । इससे केवल इसको एक सन्दर्भ ग्रन्थ कहा जा सकता है , अपितु इसमें संदर्भ संग्रह के साथ साथ जो यत्र तत्र व्याख्या मिलती है उसके आधार पर इसे वेद एवं पुराण का तुलनात्मक अध्ययन भी कह सकते हैंइस दृष्टि से , इस ग्रन्थ शृंखला को पुराण एवं वेद का आधारभूत सम्बन्ध बतलाने वाला भी कह सकते हैं सामान्यतः विद्वान् पुराण परम्परा को ऐतिहासिक दृष्टि से परवर्ती काल का मानते हैं , परन्तु वैदिक संहिताओं और ब्राह्मण ग्रन्थों में पुराण , पुराणविद् और पुराणवेद जैसे शब्द इस मान्यता पर पुनर्विचार करने को बाध्य करते हैं

    अतः पुराणों में प्रयुक्त वैदिक सन्दर्भों का यह संग्रह ग्रन्थ वेद और पुराण के शोधकर्ताओं के लिए अतिशय उपादेय हो जाता हैऐसा प्रतीत होता है कि वेद और पुराण एक ही वेद विज्ञान को दो भिन्न प्रकार से प्रस्तुत करते हैंइस ग्रन्थमाला में वेद और पुराण की तुलनात्मक दृष्टि को अपनाकर हमारी सनातन भारतीय संस्कृति के उन रहस्यों के उद्घाटन का प्रयास किया गया है जो परम्पराजनित अनेक पूर्वाग्रहों के कारण अभी तक दुर्बोध बने हुए हैंआशा है कि श्री विपिन कुमार की वैज्ञानिक दृष्टि और श्रीमती राधा गुप्ता का सांस्कृतिक वैदुष्य इस दिशा में उत्तरोत्तर प्रगति करता हुआ शोधार्थियों और सुविज्ञ प्राध्यापकों के लिए एक अत्यन्त महत्वपूर्ण सामग्री प्रस्तुत करेगाइस स्तुत्य कार्य के लिए दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं ।  -फतहसिंह