AYURVEDA TREATMENTS

विपिन कुमार

पञ्चभद्र(ज्वर हेतु)

यकृत सिरोसिस

दीपनीय गण

आरग्वध गण

कृमि उपचार

 

कृमि-नाशक योग

1.       50 ग्राम पलाश बीजों को आग पर थोडा सेकें। इसमें कबीला/कमीला, इन्द्रजौ(कडवा), अजमोदा, बायबिडंग 25-25 ग्राम मिलाएं। भुनी हुई हींग 5 ग्राम। सबको पीसकर नीमपत्र स्वरस की 5 भावनाएं दे। फिर अजमोदा-बायबिडंग क्वाथ की 2 भावनाएं दें। मात्रा 1-3 रत्ती दिन में 3 बार जल के साथ।(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक(ढाक प्रकरण) से

   प्रयोग : नीम पत्र स्वरस की 3 भावनाएं देने के पश्चात् ओषधि बहुत कडवी थी। अजमोदा-वायविडंग की 2 भावनाएं देने पर कटुता में कमी तो आई लेकिन यह कहा जा सकता है कि कटुता के कारण यह ओषधि जीवन का संरक्षण नहीं करती। अतः इस ओषधि की अल्प मात्रा वासा-गिलोय-पित्तपापडा-नागरमोथा योग के साथ ली गई जिससे जीवन को हानि न पहुंचे।

     पलाश(Butea frondosa Koen. Ex Roxb.)

     कबीला/कमीला (Kamala, Mallotus philippinensis)

     इन्द्रजौ(कडवा)(Holarrhena antidysenterica Wall.)

     अजमोदा(Apium graveolens, Linn.)

     बायबिडंग(Embelia ribes Burm.)

     नीम(Azadirachta indica)

    हींग (Ferula narthex, Boiss.)

2.       अजवायन चूर्ण 3 ग्राम तक्र के साथ

3.       नीमपत्र स्वरस मधु के साथ

4.       वायविडंग, इन्द्रजौ, पलाश बीज खण्ड के साथ

5.       विडंग, त्रिकटु(सोंठ+मरिच+पिप्पली) अन्न मण्ड में मिलाकर

6.       त्रिफला घृत

7.       विडंगारिष्ट भोजन के पश्चात्

8.       खुरासानी अजवायन, नागरमोथा, पिप्पली, काकडासिंगी, वायविडंग, अतीस मधु से साथ

9.       5 ग्राम गुड खाने के पश्चात् 1 ग्राम खुरासानी अजवायन। फिर ताम्रपत्र में रखा पर्युषित जल पिएं(भैषज्य रत्नावली से)

10.   वायविडंग, सैन्धव लवण, यवक्षार, कम्पिल्लक/कमीला, हरीतकी तक्र के साथ

11.   पलाशबीज चूर्ण, अजवायन प्रत्येक 5-5 ग्राम, 10 ग्राम गुड के साथ।

12.   पलाशबीज, इन्द्रयव, विडंग, निम्बबीज मज्जा, चिरायता, गुड

13.   कम्पिल्लक/कबीला चूर्ण 5 ग्राम तथा गुड 10 ग्राम

14.   विडंग, पिप्पलीमूल, सहजन बीज, मरिच, सज्जीखार प्रत्येक 5 ग्राम। तक्रसिद्ध यवागू में मिलाकर।

15.   नारियल जल मधु के साथ

16.   कटु तुम्बी बीज चूर्ण 10 ग्राम, 250 ग्राम तक्र के साथ

17.   पलाशबीज स्वरस मधु के साथ

प्रयोग : महिला रोगी के मल परीक्षण में परजीवी कृमि Trichuri Trichuria पाया गया जिसके उपचार के लिए अंग्रेजी ओषधि Zentel की केवल एक गोली एक दिन ली गई है। यदि बहुत से परजीवी कृमि पाए जाते तो इस गोली को 3 या 5 दिन लगातार लेना पडता। इस गोली में albendazole नामक रसायन है।

केवल एक बार गोली का सेवन करने से परजीवियों से मुक्ति नहीं मिल पाई है। गोली खाकर तीन-चार दिन बहुत कमजोरी का अनुभव हुआ। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि दोबारा इस गोली का सेवन करने के बदले उपरिलिखित आयुर्वेद के योग का सेवन करके काम चल जाए।

प्रथम लेखन : 20-7-2012ई.(श्रावण शुक्ल प्रतिपदा, विक्रम संवत् 2069)