पुराण विषय अनुक्रमणिका

(भूमिका)

Puraanic Subject Index

(Introduction)

by

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar

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Dedication

Patrons of Puraanic Index

Foreword by Dr. Pushpendra Kumar

Foreword by Dr. Harihar Trivedi

Foreword by Dr. Fatah Singh

Foreword by Sh. Vishwambhar Dev Shastri

Introduction to  published parts of index

Criticism of the first published part of index

List of Puraanas and Publishers

About the authors

 

 

 

Introduction to first published part of Puraanic subject index

भूमिका

पिछले एक दशक में माननीय डा. फतहसिंह के निर्देशन में पुराणों के माध्यम से वैदिक तत्त्वों की व्याख्या का प्रयास किया जाता रहा है जो विभिन्न ग्रन्थों के माध्यम से प्रस्फुटित हुआ है वर्तमान ग्रन्थ इस दिशा में नवीनतम उपलब्धि है प्रस्तुत ग्रन्थ में विभिन्न विषयों पर पुराणों में आए संदर्भों का संकलन किया गया है और जहां - जहां संभव हो सका है, उन पर वैदिक साहित्य के संदर्भ में टिप्पणी की गई है आभासी रूप में तो पुराणों की कथाएं आधारहीन लगती हैं और कुछ विचारकों का मानना है कि पुराणों को समझने की कुञ्जी खोई गई है लेकिन यह सौभाग्य है कि आज जितनी मात्रा में वैदिक साहित्य उपलब्ध है, उसके आधार पर पुराणों के अधिकांश भाग की व्याख्या संभव प्रतीत होती है इतना ही नहीं, वैदिक साहित्य को, जिसे एक प्रकार से बौद्धिक स्तर से परे कहकर उपेक्षित कर दिया जाता है, उसे बौद्धिक स्तर पर समझने में भी पुराण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते प्रतीत होते हैं अतः यह कहा जा सकता है कि पुराण तथा शेष वैदिक साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं आज स्वतन्त्र भारत में हमें यह सुविधा प्राप्त हुई है कि हम इन दोनों का सम्यक् अवलोकन करके आवश्यक तथ्यों को सामने लाएं इतना ही नहीं, लेखकों की यह कामना है कि इस अवगाहन से इतनी महत्त्वपूर्ण सामग्री प्राप्त हो कि वह आधुनिक काल के विज्ञानों को समझने के लिए भी उपयोगी हो सके और कम से कम भारत में आधुनिक विज्ञान की शाखाओं का अध्ययन पुराणों और वेदों को आधार बनाकर किया जा सके

          आचार्य श्री रङ्गनाथ जी सेलूकर, गङ्गाखेड, महाराष्ट्र द्वारा भारत के विभिन्न नगरों में आयोजित वैदिक परम्परा के यज्ञों के माध्यम से लेखकों को वैदिक तत्त्वों के रहस्य समझने में विशेष सहायता मिली है और इसके लिए लेखक उनके आभारी हैं

 

- लेखक

 

Introduction to second published part of Puraanic Subject Index

पुराण विषय अनुक्रमणिका के द्वितीय भाग की भूमिका

पुराण विषय अनुक्रमणिका के वर्तमान खण्ड में वर्णमाला के तथा से आरम्भ होने वाले शब्दों का संकलन किया गया है इस खण्ड में शब्दों पर वैदिक टिप्पणियों के अतिरिक्त ä परिशिष्ट के रूप में वैदिक साहित्य के उन वाक्यांशों को दिया गया है जिनके आधार पर प्रस्तुत अनुक्रमणिका में शब्दों पर टिप्पणियां की गई हैं परिशिष्ट के आरम्भ में कुछ शीर्षक हैं जिनमें केवल उन्हीं वाक्यांशों को स्थान दिया गया है जिनका उपयोग टिप्पणी लेखन में नहीं हो सका परवर्ती शीर्षकों में सभी वाक्यांशों का समावेश है ä चाहे उनका उपयोग टिप्पणी लेखन में हुआ हो या न हुआ हो परिशिष्ट के कुछ अंश ऐसे भी हैं जो कम्प्यू टंकण के समय नष्ट हो गए हैं और इस कारण से वह परिशिष्ट में स्थान नहीं पा सके परिशिष्ट टिप्पणी के अध्ययन से हमें एक विषय की विस्तृत जानकारी एक साथ मिल सकती है हो सकता है कि वैदिक संहिताओं, ब्राह्मणों , उपनिषदों और श्रौत ग्रन्थों के कम्प्यू में लिपिबद्ध होने के पश्चात् वैदिक वाक्यांशों के लेखन की आवश्यकता न पडे, किन्तु अभी तो यह परिशिष्ट अपरिहार्य है स्वयं लेखक - द्वय भी इसका उपयोग करते रहते हैं

           लेखक - द्व डाँ. सीताराम गुप्ता के आभारी हैं जिनके कारण इस ग्रन्थ के परिशिष्ट का टंकण लेखन के तुरन्त पश्चात् सम्भव हो पाया इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिन सज्जनों का सहयोग लेखकों को प्राप्त होता रहा है , लेखक - द्वय उनके आभारी हैं

 विपिन कुमार

 

राधा गुप्ता